Sunday 28 August 2016

Analysis Of Ved-Quran PART-1


नमस्कार चर्चा-ए-दीन-इस्लाम में आपका स्वागत है।
उभरते बेतुकी प्रश्न गजरते उत्तर भाग -१

१) प्रश्न - "क़ुरान में जो सब भी है वो ईश्वरीय ज्ञान है -"सामान्य इंसान क़ुरान नहीं लिख सकता" . . .
जवाब :- जनाब , इस बात को जान्ने के लिए पहले आपको अपना इल्म बढ़ाना होगा।
सबसे पहले क़ुरान में अल्लाह का झूठ देखिये जो की पैगम्बर मोहम्मद के बारे में कई जगह  कहा गया -

अल्लाह ने अनपढ़ ही बनाया ?
झूठ १ :कुरान-“और उसी अल्लाह ने अनपढ़ लोगों के बीच में एक अनपढ़ रसूल को उठाया जो हमारी आयतें सुनाता है “सूरा – जुमुआ 62 :2
झूठ २ :“जो लोग उस अनपढ़ रसूल के पीछे चलते हैं , जो न लिख सकता है और न पढ़ सकता है , तो पायेंगे कि उसकी बातें तौरैत और इंजील से प्रमाणित होती हैं “सूरा -अल आराफ 7 :157
झूठ ३: “हे रसूल न तुम कोई किताब लिख सकते हो और न पढ़ सकते हो . यदि ऐसा होता तो लोग तुम पर शक करते “सूरा -अनकबूत 29 :49


अब देखिये सच्चाई :-Sahih Bukhari-Volume 3, Book 49, Number 863

...... तब रसूल ने अली से कागज लिया और खुद लिख दिया ” मिन मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह من محمد بن عبد الله  ” यानि अब्दुल्लाह के बेटे मुहम्मद की तरफ से यह शर्तें स्वीकार की जाती हैं “


यहाँ देखिये जब पैगम्बर मोहम्मद को धमकाया गया की हमको तुम्हारा ही "sign" चाहिए इस शर्त पत्र पर - "तब पैगम्बर मोहम्मद जो की तथाकथित अनपढ़ था , उसको पढ़ना लिखना सब आ गया। 

###अब आते है झूठे क़ुरान के दूसरे पहलुओ पर - "क़ुरान ईश्वरकृत है या मोहम्मदकृत"?
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QURAN या-सीन (Ya-Sin):39 - और रहा चन्द्रमा, तो उसकी नियति हमने मंज़िलों के क्रम में रखी, यहाँ तक कि वह फिर खजूर की पूरानी टेढ़ी टहनी के सदृश हो जाता है।
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कुरान की इस आयत को देखिये - मुस्लिम विद्वान कुरान का हिंदी या इंग्लिश भाष्य कठिन जान-बुझ के करते है की लोगो को पूरी आयत ठीक से समझ न आये। क्या ये ईश्वर का ज्ञान है ?

यहाँ चंद्रमा अपना गोलाकार बदल के पतली खजूर की पुरानी टेढ़ी टहनी सा हो रहा। क्या चाँद अपना आकार बदलता है ? नहीं , बिलकुल भी नहीं "ये सूर्य के प्रकाश का चाँद पर पड़ने पर हमें चाँद का आकार बदलता दिखता " चाँद अपना आकार में ही रहता , ये सूर्य का प्रकाश है जिसके कारन १५-१५ दिन में कभी अमावस्या तो कभी पूर्णिमा होता रहता ।
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पर ये ज्ञान अरब की धरती पर बैठने वाले मोहम्मद को नहीं पता था। इसीलिए मोहम्मद ने चाँद का ही आकार बदल दिया।  अगर ये किसी ईश्वर का ज्ञान होता तो वो " ऐसी बात नहीं करता की लोगो को ऐसा दिखता या वैसा दिखता ? 

अरे , जब परमेश्वर को सच्चाई पता है "तो वो अपना ज्ञान को क़ुरान में देना चाहिए था की सूर्य का प्रकाश 
१५ -१५ दिन के अंतराल में कभी चाँद पर पूरा पड़ता या आधा पड़ता इसीलिए चाँद का आकार बदलते हुआ प्रतीत होता। चाँद गोल ही है। पर अल्लाह ने इस बात को गलत भी नहीं कहाँ आगे किसी आयत में और न ही सच्चाई बताया की ऐसा क्यों प्रतीत होता।

सीधे शब्दो में की अल्लाह को खुद इल्म नहीं की १५-१५ दिन में चाँद का आकार बदला बदला सा क्यों लगता। क्योकि अल्लाह "इस सृष्टि का रचनाकर नहीं है" . क़ुरान में वही सब है जो भी धरती पर बैठ एक साधारण इंसान सोच सकता। क़ुरान में अल्लाह काल्पनिक  है - कुरान 'पैगम्बर मोहम्मद' की खुद की रचना है। और पैगम्बर मोहम्मद को अन्तरिक्ष विज्ञान का कोई ज्ञान नहीं था।
हिन्दू पंचांग के अनुसार - माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या।


यदि शुरुआत से गिनें तो 30 तिथियों के नाम निम्न हैं- पूर्णिमा (पूरनमासी), प्रतिपदा (पड़वा), द्वितीया (दूज), तृतीया (तीज), चतुर्थी (चौथ), पंचमी (पंचमी), षष्ठी (छठ), सप्तमी (सातम), अष्टमी (आठम), नवमी (नौमी), दशमी (दसम), एकादशी (ग्यारस), द्वादशी (बारस), त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस) और अमावस्या (अमावस)।

ये सब ज्ञान तो दूर की बात है "क़ुरान का अल्लाह को लगता है की चाँद का खुद का रौशनी है" . अरब की धरती पे बैठ के मोहम्मद को क्या सबको ऐसा लग सकता की चाँद का खुद का प्रकाश होता है। ये देखिये कुरानिक ज्ञान। 

Quran नूह (Nuh):16 - "और उनमें चन्द्रमा को प्रकाश और सूर्य को प्रदीप बनाया ?
अब इस्लामिक विद्वान लोग बेतुकी टिपण्णी करता की यहाँ पे चाँद के लिए "नूर" जो आया है उसका मतलब reflection of light से है ? "नूर तो कई जगह अल्लाह के लिए भी आया है देख लीजिये "Quran 24:35" तो हम कहे की अल्लाह भी असलियत में नहीं ये भी सूर्य का reflection of light है ?

अरबी व्याकरण में reflection of light को  (in`ikaas) कहते है जो की कुरान की आयत में नहीं है , नूर का अर्थ सिर्फ रोशनी है। अब और भी स्पष्ट प्रमाण देता हूँ -

The moon has light
Narrated Abu Huraira: The Prophet said, "The sun and the moon will be folded up deprived of their light on the Day of Resurrection."  {Sahih Bukhari 4:54:422}
Ref Link -- http://www.usc.edu/org/cmje/religious-texts/hadith/bukhari/054-sbt.php#004.054.422

(हिंदी रूपांतरण) अबु हुरैरा की रिवायत है की : पैगम्बर (मोहम्मद) ने कहा की 'कयामत के दिन सूर्य और चंद्रमा को मोड़/लपेट लिया जाएगा और सबको (their light सूर्य और चंद्र का रौशनी) से वंछित कर दिया जाएगा।

आप ही सोचिये जिस शिक्षक को abcd का भी ज्ञान नहीं "वो English lecturer बन सकता" ?
नहीं बन सकता। वैसे ही अल्लाह जबरदस्ती सृष्टि रचना  का दावा कर रहा। 



अब देखिये ईश्वरीय/ओपुरुषेय ज्ञान वेद :-

वेद का ज्ञान इस धरती पर तब आया जब आदि सृष्टि में मनुष्य आया और वो ज्ञान पाने के लिए सक्षम हो पाया।

वेद का अर्थ ज्ञान है तो इसका किताब /कॉपी या कागज पर आने की बात बेतुकी है। जब कागज नहीं था वेद तब भी था। हाँ कुछ इतिहासकार बोलते है "की वेद ३००० साल पुराना है , कुछ कहते नहीं ४००० साल पुराना है तो कुछ कहते की नहीं ५००० साल पुराना होगा।

हो सकता की ५००० साल पहले की कोई कागज़ में ईश्वरीय ज्ञान को लिखा गया होगा।  पर इससे ये साबित नहीं होता की वेद सिर्फ ५००० साल पुराना ही है। वेद का ज्ञान अगर मनुष्यकृत होता तो फिर वेद का ईश्वरीय होने का और आदि सृष्टि में आने का दावा झूठा प्रतीत होगा।

चलिए क़ुरान का अज्ञान तो देख ही चुके अब वेद का इसी टॉपिक पर ज्ञान देखे।
क्या क़ुरान की तरह वेद भी झूठी या मनुष्यकृत है ?

जवाब , वेद मनुष्यकृत बिलकुल भी नहीं हो सकती -
वैसे तो सैकड़ो प्रमाण मैं दे सकता - पर हमलोग क़ुरान और वेद को जांच रहे - तो इसी टॉपिक पर दूंगा।
बाकी का आगे भी देता रहूँगा। 

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ECLIPSE
Rig Veda 5.40.5“O Sun! When you are blocked by the one whom you gifted your own light (moon), then earth gets scared by sudden darkness.”

(हिंदी रूपांतरण शार्ट में) " जब सूर्य और पृथ्वी के ठीक बीच चंद्र आ जाती , तब {(चुकी चंद्र का खुद का  प्रकाश नहीं है -सूर्य का ही प्रकाश चंद्र पर आती देखे Rig Veda 1.84.15 & Rig Veda 10.85.9)} पृथ्वी पर अचानक अँधेरा छा जाता। 

LIGHT OF MOON

Rig Veda 1.84.15“The moving moon always receives a ray of light from sun”

(हिंदी रूपांतरण ) घूमता हुआ चाँद हमेसा सूर्य से प्रकाशवान होता। 


Rig Veda 10.85.9“Moon decided to marry. Day and Night attended its wedding. And sun gifted his daughter “Sun ray” to Moon.”

(ये अलंकार में है 'हिंदी रूपांतरण ) सूर्य अपना रौशनी चाँद को देता है। 

वेद वैदिक संस्कृत में भी अलंकृत है - इसीलिए वेदों को जटिल कहाँ जाता। सामान्य लोग जैसे islamic Scholar सब के पास वैदिक कोष का ज्ञान नहीं होता। इसीलिए उन्हें वेद समझ नहीं आती। 



वेद ही ईश्वरीय है 'क़ुरान सिर्फ मोहम्मद की बेतुकी ज्ञान है'

नमस्कार !!!
वेद और क़ुरान की अगले ब्लॉग की प्रतीक्षा करे। 

#मनीष आर्य 
#फैजल अहमद (सलाहकार)

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